धीरे धीरे मचल ऐ
दिल-ए-बेक़रार
धीरे धीरे मचल ऐ
दिल-ए-बेक़रार
कोई आता है
यूँ तड़प के न तड़पा मुझे
बारबार
कोई आता है
धीरे धीरे मचल ऐ
दिल-ए-बेक़रार
यही गीत अब साज में
सादर
तू छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहां तेरे बिन फीका फीका है दिल का जहां तू छुपी है कहाँ मैं तड़पता यहां तू गयी उड़ गया रंग जाने कहाँ तेरे बिन फीका फ...
आह ! यह गीत तो मेरे हृदय के अत्यधिक निकट है । राग खमाज पर आधारित है यह । बहुत-बहुत आभार आपका यशोदा जी इस गीत को यहाँ साझा करने के लिए ।
जवाब देंहटाएंमैं उस बेचैनी को साफ महसूस करता हूँ, जो किसी के आने की आहट से दिल में मचल उठती है। ऐसी तड़प बड़ी खूबसूरत होती है, क्योंकि इसमें उम्मीद भी होती है और शरारत भी।
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