शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

मेरे नैना सावन भादो फिर भी मेरा मन प्यासा

भाई जितेन्द्र माथुर की खास फरमाईश पर
शास्त्रीय राग 'शिवरंजनी' में सृजित 
यह गीत मेरे हृदय के अत्यंत निकट है
सुनिए ये गीत

फिर भी मेरा मन प्यासा.. (2)

मेरे नैना सावन भादो..

फिर भी मेरा मन प्यासा.. (2)

ऐ दिल दीवाने खेल है क्या जाने
दर्द भरा ये गीत कहाँ से इन होठों पे आए
दूर कहीं ले जाए
भूल गया क्या भूल के भी है
मुझको याद जरा सा...

फिर भी मेरा मन प्यासा

बात पुरानी है एक कहानी है
अब सोचूं तुम्हें याद नहीं है अब सोचू नहीं भूले
वो सावन के झूले
रुत आए रुत जाए देकर झूठा एक दिलासा

फिर भी मेरा मन प्यासा
..
यही गीत सुनिए
बांसुरी में...

आभार भाई जितेन्द्र जी

1 टिप्पणी:

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