सादर नमस्कार
आज एक और सावनी गीत सुनिए..
मेरे नैना सावन भादों
फिर भी मेरा मन प्यासा
बात पुरानी है...
ऐ दिल दीवाने ...
बरसों बीत गए, हमको मिले बिछड़े
बिजुरी बनकर, गगन पे चमके
बीते समय की रेखा, मैंने तुमको देखा
तड़प तड़प के इस बिरहन को
आया चैन ज़रासा, फिर भी ...
पहले सुनिए लता जी के स्वर में
अब इसी गीत को सुनिए बांसुरी मे
सादर
bahut hi bdhiyaa link share kiya aapne..achaa lgaa ise sunnaa
जवाब देंहटाएंशास्त्रीय राग 'शिवरंजनी' में सृजित यह गीत मेरे हृदय के अत्यंत निकट है । आभार आपक । यदि इसे आपने किशोर कुमार के स्वर में भी दिया होता तो और भी अच्छा होता ।
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